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श्री खाण्डल विप्र शैक्षणिक संस्थान एवं छात्रावास

परिचय
 
समाज के 100 से अधिक गणमान्य स्वजनों की उपस्थिति में दिनांक 25 जुलाई, 1994 को श्री नवजीवन रसायन शाला रामगंज बाजार जयपुर में एक बैठक का आयोजन किया गया जिसमें सर्व सम्मति से निर्णय लिया गया कि समाज के निर्धन एवं प्रतिभाशाली छात्रों को जो सुदूर गांवों में रहते है। उच्च अध्ययन हेतु राजधानी में आने पर आवास एवं भोजन की समस्याओं के साथ मार्ग निर्देशन के अभाव से ग्रस्त है। इसी संवेदना को लेकर श्री खाण्डल विप्र सेवा संस्थान का इसी दिन जन्म हुआ जिसकी स्थापना का एक मात्र लक्ष्य प्रतिभाशाली छात्रों को न्यूनतम शुल्क पर आवास भोजन एवं लक्ष्य प्रतिष्ठित व्यक्तियों के मार्ग निर्देशन हेतु एक शैक्षणिक संस्थान एवं छात्रावास भवन का निर्माण करना है। चार वर्ष के अर्थक परिश्रम एवं अपने राजकीय सम्यकों का श्रेष्ठ उपयोग कर सेवा संस्थान में दिनांक 7 मई 1998 को 2275 वर्ग मीटर का भूखण्ड राजस्थान विश्वविद्यालय के समीप झालाना संस्थाकन क्षेत्र जयपुर विकास प्राधिकरण द्वारा मात्र 16 लाख 58 हजार रूपये में आवंटित करवा कर कब्जा प्राप्त किया। सन 1998 की परशुराम जयन्ती अक्षया तृतीया के दिन इस भवन का भूमि पूजन के साथ ही निर्माण का श्रीगणेश हुआ। जिससे समाज के 200 से अधिक गणमान्य सज्जान उपस्थित थे। सनृ 1998 की दीपावली के स्नेह मिलन के अवसर पर निर्माणाधाीन भवन के प्रांगण में 300 सदस्यों की स्नेह सभा में विचार विमर्श कर श्री खाण्डल विप्र सेवा संस्थान में सर्व सम्मति से भूमि को भवन के निर्माण एवं विकास के लिये श्री खाण्डल विप्र सेवा संस्थान का गठन कर उसे सौंप दिया श्री खाण्डल विप्र सेवा संस्थान ट्रस्ट के प्रथम अध्यक्ष के रूप में श्री बनवारी लाल जोशी, नई दिल्ली के प्रथम कार्यकाल में ही भवन का निर्माण एक करोड़ रूपये के वृहद लक्ष्य के साथ अक्टूबर 2000 की दिवाली से पहले पूरा कर छात्रावास का प्रारम्भ किया गया। 
 
पुनः ट्रस्ट के द्वितीय कार्यकाल में श्री मदन लाल जी बणसिया अध्यक्ष के रूप में पदासीन हुये और छात्रावास में छात्रों की अधिकता को देखते हुये तीसरी मंजिल का कार्य 2003 के जून माह में पूरा किया गया और पूरे निर्माण एवं विकास कार्य में समाज के उदार दान दाताओं ने एक करोड़ रूपये का अभूतपूर्व योगदान मात्र चार वर्ष में पूरा कर एक कीर्तिमान स्थापित किया उल्लेखनीय बात यह है कि एक करोड़ रूपये के निर्माण लक्ष्य को पूरा करने के साथ ही महिला छात्रावास की आवश्यकता का अनुभव किया गया एवं मात्र दो माह के अल्प काल में पुनः जयपुर विकास प्राधिकरण से अपने उद्देश्यों की पूर्ति में सफल रहने के कारण संस्थान भवन के नैऋत्य कोण में 752 वर्ग मीटर का भूखण्ड जो 2002 में आवंटित करवाया गया इस पर 50 लाख की लागत महिला छात्रावास का प्रारम्भ देवोत्थान एकादशी 2003 को क्रियान्वित पूजन एवं संत समागम के साथ उत्साह पूर्वक किया गया। इन दोनों परियोजनाओं में पाँच वर्ष के अतंराल में एक करोड़ 50 लाख रूपये की दान राशि का प्राप्त होना समाज की नीति परायणता एवं श्रेष्ठ कार्यों के लिये शिक्षा के विकास में अपना उदार योगदान का श्रेष्ठ उदाहरण है। 
 
संस्थान भवन में 111 आवासीय छात्रों के लिये तथा 50 छात्राओं के लिये सुविधा महिला छात्रावास में अपनी पूरी क्षमता के साथ शिक्षा के उत्थान हेतु प्रयासरत है। इन दोनों छात्रावासों में पूर्व कालिक निदेशक, दो पृथक छात्रावास अधीक्षक तथा दोनों छात्रावासों में पृथक-पृथक 8 कम्प्यूटर जिन पर असीमित इन्टरनेट की सुविधा है। पुस्तकालय, अध्ययन कक्ष, सभा कक्ष, भोजनालय, अतिथि कक्ष, कार्यालय कक्ष, चौबीस घंटे सुरक्षा प्रहरी की व्यवस्था, नल के पानी की व्यवस्था एवं विशाल हरे भरे बगीचे वृक्षों से सुशोभित है। खाण्डल विप्र सेवा संस्थान ट्रस्ट द्वारा संचालित पुरूष एवं महिला छात्रावासों में विद्वान विशेषज्ञों की निःशुल्क सेवायें मार्ग दर्शन हेतु मार्ग निर्देशन एवं भविष्य निर्माण हेतु उपलब्ध है। संस्थान समाज के प्रबुद्ध वर्ग एवं उदार व्यवसायी वर्ग के समाज हित में आपसी तालमेल का सुन्दर उदाहरण है। 
 
छात्रावास संचालन हेतु अग्रिम पृष्ठ पर दी गई सूची के अनुसार ट्रस्ट का निर्माण किया गया है इसमें पूरे देश से अपने अपने क्षेत्रों से मूर्घन्य विद्वान प्रोफेसर, डाक्टर, वकील, सी.ए., प्रशासनिक सेवा वर्ग के उच्च पदस्थ  अधिकारी इजिनियंर एवं सफल उदार उद्यमी प्रतिभाओं को शामिल किया गया है। यह वर्ग की बात है कि सभी ट्रस्टी गण सुन्दर आपसी तालमेल के साथ संस्थान के समाज में विकास के लिए प्रयत्नशील है।